#संकल्प
मुझे याद है वह दिन जब मैंने अपनी एक पुस्तक प्रकाशित करने के लिये कई लोगों के हाथ जोड़े।मेरी पुस्तक प्रकाशित कैसे करने के लिये क्या करना चाहिये?
सन 2010 के सालने मेरे अंदर रहे लेखक को मार दिया, मेरी लिखी 3 किताबों को अप्रकाशित जलाई तथा कभी भी मेरी पुस्तक प्रकाशित न करने का मन बनाया।
मन के एक कोने में बैठा लेखक धीरे धीरे मरता गया और एक पाठक (Reader) का जन्म हुआ।
समय ने करवट बदली चट्टानों के बीच बंद ज्वालामुखी तीव्रता से फटा 2016 से फिर कलम थामी और उपन्यास, कहानियां, कविताएं कागज़ पर उतारने लगा, लेकिन पुस्तक प्रकाशित करने की चेष्ठा नहीं की...
कई साहित्यिक समूहों को तकनीकी सहायता करता गया जिस से मुझे मेरे पुस्तक को प्रकाशित करने में जो तकलीफ हुई वह दूसरे लेखकों को न हो...
लोगों को तकनीकी मार्गदर्शन देने से उन्हें कुछ खास फायदा नहीं हुआ उल्टा उनके काम मुझ पर थोपते गए और मुझ से तकनीकी ज्ञान शिखने की जगह अलग अलग समूह बना कर नाम और प्रतिष्ठा पाने की जंग में लग गये। उनकी इस लड़ाई में मैं एक ऐसा सिपाही था जो सभी दलों से लड़ता और सभी अपना अपना स्वार्थ सिद्ध करते हुए मेरा ही गला काटने लगे...
अपने आपको इस युद्ध से अलग कर ऐसा कुछ करने का प्रण लिया की जिससे लोग साहित्य को जाने व्यक्ति को नहीं...
2019 तक मेरी पहचान कई प्रकाशकों से हुई, न तो मुझे उनकी जरूरत पड़ी न तो उनको मेरी जरूरत पड़ी।
22-2-2022 मेरी किताब का लोकार्पण हो ऐसा मैने संकल्प लिया मेरे परम मित्र भरत गोस्वामी को तैयार किया की उनकी भी एक पुस्तक छपनी ही चाहिये अब एक से भले दो, दो से भले तीन, चार, पाँच करते करते दिमाग़ में 22-2-22 को 22 लेखक तो होने ही चाहिये का विचार आया पूरी रात बस में उन लेखकों को मैसेज किये जिन्हें मैं जानता हूं...
फ़िर मेरे मित्र गोपाल भाई से कौशलभाई (नेक्षस पब्लिकेशन) के नंबर लिये और सुबह 6:00 बजे मैंने कोल किया की मुझे अगर मेरी पुस्तक प्रकाशित करनी हो तो कितना समय लगेगा? कितना खर्च होगा? उनके जवाब से में संतुष्ट था लेकिन कोई भी कार्य अकेले सम्पन्न नही होता और मैं यह भी नहीं चाहता था की मेरी टीम में कोई ऐसा व्यक्ति आये जिस की बजह से मेरे संकल्प की भ्रूण हत्या हो...
एक अच्छी टीम बनी जिसका नेतृत्व करने का मुजे अवसर मिला जहां पर मैं गिरता वहा वो मेरा हाथ पकड़ कर खड़ा करते जहां वो थकते वहां मैं उन्हें मदद करता रहता...
नेक्षस स्टोरीज़ पब्लिकेशन और कौशलभाई के पूरे सहयोग से हमारा संकल्प 22-2-22 उसके निश्चित समय पर ही पूर्ण होने की खुशी है। इस खुशी के साथ नूतन लेखकों के पुस्तक छपने की वचन बद्धता एक विचार को संकल्प मे और संकल्प को पूर्ण संकल्प में हकारात्मक तरीके से परिवर्तित करने की दिशामें आगे बढ़ रहा है, बस कुछ दिन बचे हैं। जब हमारी पुस्तकों का विमोचन (लोकार्पण) कार्यक्रम होगा हमारे विश्वास की विजय होगी...
इस पूरे घटनाक्रम से मुझे मेरे ईश्वर पर विश्वास और दृढ़ हो गया है क्यो की अगर ईश्वर मेरे साथ न होते तो इस कार्य को करना हमारे लिये असंभव होता....
संकल्प से पूर्ण संकल्प की तरफ
सागर चौचेटा 'साचो'
www.sacho.in